प्रहलाद कथा (Hindi Motivation Story) -: प्रह्लाद श्री विष्णु जी के भक्त थे और हिरणाकश्यप जो की राक्षश जाती के थे उनका पुत्र था ! प्रह्लाद की माता जी का नाम कयादु था प्रह्लाद बचपन से ही हरी के भक्ति में रहते ! जब उन्हें पढ़ने के लिए पाठशाला भेजा जाता था तो वहा प्रह्लाद बच्चो को कहते थे हरी का नाम लो और गुरु को भी यही बोलते थे की आप भी हरी का नाम लो न तो खुद पढ़ते न बच्चो को पढ़ने देते थे |
एक दिन शिक्षक ने राजा हिरणाकश्यप से प्रह्लाद की सारी हरकतों के बारे में बताते है ! तब राजा प्रह्लाद को बुला के अपने गोद में बैठा के कहते है ! बेटे मेरे दुश्मन हरी अर्थात ( विष्णु ) का नाम क्यों लेते हो |
तब प्रह्लाद कहते है पिता जी हरी अर्थात ( विष्णु ) भगवान सभी के जन्म दाता है ! और सभी की रक्षा भी करते है ! इसी तरह अनेक प्रकार की ज्ञान की बाते करते है ! जिससे हिरणाकश्यप गुस्से में आ जाते है ! और प्रह्लाद को मरने की ठान लेते है ! हिरणाकश्यप अपने सेवको ने प्रह्लाद को बांध कर मारो लेकिन कोई भी सेवक प्रह्लाद को बांधने के लिए आगे नहीं आते है !
तब “स्वयं हिरणाकश्यप प्रह्लाद को बांध कर उसे पहाड़ के निचे फेंक देते है” ! तब विष्णु भगवान प्रह्लाद को अपनी बाहो में संभाल लेते है और प्रह्लाद को थोड़ी सी भी चोट नहीं लगती है ! यह देख की प्रह्लाद अभी भी जिन्दा है ! हिरणाकश्यप ने रस्सी से बांध कर गहरे पानी में डूबा देते है फिर भी प्रह्लाद के न मरने पर हिरणाकश्यप फिर हाथी के पैरो के निचे कुचलवाते है ! तब हाथी प्रह्लाद को देख कर भाग जाता है ! “जमीन में गड़वाया , जहरीले सांपो से कटवाया , तोपे चलवाई फिर भगवान के “नाम के प्रताप से प्रह्लाद” को एक खरोच तक नहीं आई !
उसके बाद हिरणाकश्यप की बहन जिसका नाम डुडला था ! डुडला को आशीर्वाद था की वह आग से नहीं जल सकती है ! तब डुडला प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ जाती है ! कुछ लोग उसमे लकड़ी डालते है ! कुछ लोग उपलों की माला बना के डालते है इस तरह कुछ लोग उदास होते तथा कुछ लोग खुश होते की भगवान का भक्त मर जायेगा !
अब सुबह हुई तो देखा प्रह्लाद राख से खेल रहे थे ! और डुडला ( राक्षशी ) जिसे कभी न जलने का आशीर्वाद मिला था ! वह जल जाती है ! राक्षसी डूडला जो की अब होलिका के नाम से प्रसिद्ध हो जाती है ! इसी खुशी में भारत वर्ष सभी लोग होलिका
तब हिरणाकश्यप ने प्रह्लाद को एक लोहे के खंभे में बांध देते है ! और कहते है बता तेरा भगवान कहा है तब प्रह्लाद कहते है भगवान का निवास हर जगह है ! वो वह हमारे अंदर भी है ! और तुम्हारे अंदर भी है ! मेरा भगवान हर जगह है न मनो तो लिख कर देख लो ( किसी नाम के अक्षर को 4 से गुना करने पर उसमे 5 को जोड़ देने पर उस को दुगना कर दो और 8 से भाग देने पर शेषफल 2 बचता है में उसी 2 अक्षर का नाम लेता हूँ ! अथार्त राम ( विष्णु ) फिर प्रह्लाद कहते है !
“की इस खंभे में भी भगवान है ऐसा कहने के तुरंत बाद खंभे में गड़गड़ाते -२ हुए और चरचराते हुए खम्भा फटने की गरजना से पृथ्वी हिलने लगती है से तूफान तथा समुद्र में प्रलये आ जाता है ! जिसकी वजह से मनुष्या , देवता , राक्षश तथा पशु – पक्षी सब डर के भागने लगते है ! तभी खंभे के बीच से नरसिंघ भगवान का अवतार होता है !
और हिरणाकश्यप को अपनी जांघो पर लीटा के उसका पेट फाड़ देते है ! जो की हिरणाकश्यप के वरदान के हिसाब से की वह किसी भी शस्त्र से नहीं मर सकता इसलिए नरसिंघ ने शाम के समय डेहरी पर बैठ कर अपने नाखुनो से हिरणाकश्यप की जान ले ली ! और प्रह्लाद को अपने गोद में बैठके उनसे प्यार करते अर्थात उन्हें अपने जीभ से चाटते |
सीख – भगवान को जो इंसान सच्चे मन से मानता है भगवान उनके सब दुःख दूर करते है ! और बुरे इंसान को दंड देते है !