लाल परी की कहानी – सालो पहले परिओ की नगरी में लाल परी रहती थी। परिओ के नगर में काफी समय बाद पार्टी मनाई जा रही थी। लेकिन किसी कारण से रानी ने लाल परी को महल से निकल जाने का आदेश दिया। रानी के आदेश के कारण लाल परी महल से निकल के एक बाग़ में आ के छिप गई। उस बाग़ में बहुत सरे बच्चे खेल रहे थे। लाल परी छिप कर उन बच्चो का खेल देखने लगी और बच्चो को खुश और हसता देख लाल परी अपना दुःख भूल गई।
तभी बाग़ में खेल रही सोनी नाम की एक लड़की की नज़र लाल परी के सुनहरे पंखो पर पड़ी।
सोनी को लगा की वह कोई फल है। और वह उसे लेने चली गई। सोनी ने जब वह लाल परी को देखा तो चोंक गई। और खुशी के मरे चिल्लाने लगी।
सोनी की चीख सुनकर सभी बच्चे सोनी के पास आ गए। सुन्दर लाल परी ने लाल रंग के कपडे पहन हुए थे और उसके पंख में लाल रंग के थे। उसने चमकता हुआ लाल रंग का सिर पर ताज पहना हुआ था। सब बच्चो को देखकर लाल परी ने सभी को अपना परिचय दिया। सभी बच्चे लाल परी को देखकर बहुत खुश हुए।
“उसके बाद जैसे ही फूलो का चमकना काम हुआ। आसमान के सारे तारे चमकने लगे। तब बच्चो ने लाल परी से विदा लिया। और अपने – अपने घर जाने को तैयार हो गए। बच्चो के जाने के बाद लाल परी का मन फिर से उदास होने लगा। लाल परी को उदास देखर सोनी से रहा नहीं गया तो सोनी ने लाल परी से उदासी का कारण पूछा लिया।
“लाल परी ने सोनी को रानी परी की सारी बात बताई। यह सुनने के बाद सोनी ने कहा ” आपने को शरारती की होगी तभी रानी परी ने आपको ऐसी सजा दी है। में जब घर में शरारत करती हूँ तो माँ भी मुझे कोई न कोई सजा दे देती है।
” सफाई देते हुए लाल परी ने कहा ” – नहीं मेने कोई शरारत नहीं की थी।
लाल परी की सफाई सुनकर सोनी ने कहा ” कुछ तो शरारत की होगी।
इतना सुनते ही लाल परी ने अपनी नजरे चुरा ली। नजरे निचे करते ही लाल परी ने कहा -हां , मैने एक शरारत की थी। नोटू बोना सीढ़ी पर खड़ा होकर रानी परी के महल की सबसे उच्ची घडी की सफाई कर रहा था। मैने सीढ़ी को हिला दिया था। डर ने मारे नोटू बौने घड़ी को पकड़ ली और उसे पर लटक गया जिससे वह टूट गई। “
“उस घडी के टूटने के कारण घडी रुक गई और परी लोक में सब कुछ रुक गया था। फिर रानी ने अपनी जादू से सब कुछ ठीक किया। इसी वजह से रानी ने गुस्सा होकर मुझे महल से निकल दिया। जबकि इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। “सारी गलती नोटू बौने की थी । “
लाल परी की की बात सुनकर सोनी ने कहा -“मेरी माँ कहती है आकर हमसे कोई गलती अनजाने में हो तो उसके लिए माफ़ किया जा सकता है।लेकिन कोई गलती जानबूझ के की जाए तो उसको साजा दी जानी चाहिए। तो अब आप ये बताओ की क्या वह सीढ़ी अपने जान बुझ कर हिलाया था। या गलती से हिल गया था।
लाल परी ने धीमी आवाज में कहा – जानबूझ कर । क्या में इस गलती की माफ़ी रानी से मागू , तो क्या वह मुझे माफ़ करेंगी ?”
सोनी ने कहा हां ,” मेरी माँ ने कहा है अगर हम कोई कार्य को सच्चे दिल से करे तो वह सफल जरूर होता है।
इसके बाद लाल परी ने सोनी से कहा की माँ को मेरी तरफ से धन्यवाद करना और अगले ही पल लाल परी ने अपनी छड़ी घुमा कर सोनी को उसके घर पहुंचा दिया।
सोनी के माँ के विचार को सुन कर लाल परी ने ठान लिया की वह परी लोक में सबसे अच्छी परी बन के दिखेगी। इसके बाद लाल परी ने अपने पंख फैलाये और आसमान में उड़ चली लाल परी ने सच्चे दिल से अपनी गलती की माफ़ी मांगी । फिर रानी परी ने भी लाल परी को माफ़ कर दिया।
सीख – हमें किसी को बेवजह दुःख नहीं देना चाहिए। और सच्चे मन से ली गई माफ़ी को भगवान भी माफ़ कर देता है