कहानी है राजा रूपसेन और अंगरक्षक बीरबल की। वर्ध्नम राज्य में रूपसेन नाम का राजा राज्य किया करता था। राजा साहसी , दयालु और न्यायप्रिय था। राजा के व्यक्तित्व की बाते उनके राज्य ही नहीं बल्कि उनसे लगे हर राज्य में रूपसेन की परसंसा की जाती थी।
एक दिन राजा के दरबार में बीरबल नाम का एक व्यक्ति आया। जब राजा ने उनके आने की वजह पूछी। तो बीरबल बोला मुझे नौकरी चाहिए। और में अंगरक्षक के रूप में आपकी सेवा, करना चाहता हूँ।
तब राजा ने कहा में आपको अपना अंगरक्षक बना सकता हूँ। उसके लिए तुम्हे अपनी कार्यकुशलता सिद्ध करनी होगी। ताकि में यह निस्चय कर सकु की तुम इसके काबिल हो भी की नहीं। विक्रम बेताल की कहानी – 3 (Hindi Motivation story )
राजा की यह बाते सुन “बीरबल फ़ौरन तैयार हो गया। उसने अपने बहु बल के साथ अपना शास्त्र कौशल भी दिखाया”। बीरबल की सभी विशेषता देखकर राजा रूपसेन बहुत प्रभाबित हुआ।
राजा ने बीरबल से कहा। ,बीरबल बताओ अगर में तुम्हे अपना अंगरक्षक बनता हूँ। तो तुम्हे प्रतिदिन का खर्चा क्या चाहिए। “महाराज आप मुझे हजार तोले सोने दे देना।
बीरबल की बाते सुन दरबार में बैठे लोग बीरबल को हैरानी से देखने लगते है। राजा रूपसेन भी बीरबल की बात से आश्चर्य में पड़ गया। हो भी क्यों ना बीरबल ने वेतन के रूप में इतनी बड़ी रकम जो मांगी है।
राजा ने गंभीर होकर पूछा तुम्हारे परिवार में कितने लोग है ? “बीरबल ने उत्तर दिया। कुल चार महाराज। मैं मेरी पत्नी एक बेटा और का बेटी।
जबाब सुन राजा ने मन ही मन सोचा की चार लोगो के भरण पोषण में इसे इतने धन की क्या जरूरत होगी। फिर कुछ सोच कर राजा ने बीरबल को हजार तोले सोने प्रतिदिन देने की बात मान ली। काम सिर्फ इतना था की। उसे हर रात राजा की सुरक्षा के लिए उनके कमरे के बाहर पहरा देना है। विक्रम बेताल की कहानी – 3 (Hindi Motivation story )
राजा यह जानना चाहता था की बीरबल इतने सोने का क्या करेगा। तब राजा ने “बीरबल को हजार तोले सोने” “दे दिए। और रात में नौकरी पर आने को कहा। और गुप्त रूप से अपने कुछ सैनिको को उसके पीछे लगा दिया। बीरबल नौकरी और मन -चाहा वेतन पाकर बहुत खुश हुआ। बीरबल सोना लेकर खुशी -ख़ुशी घर गया। और “आधा सोना ब्राह्मण में बाट दिया।
और बचे सोने के दो हिस्से किये। एक को वैरागिओ , सन्यासिओ , मेहमानो को दिया। और बचे हुए सोने से अनाज मंगवाया और कई तरह के भोजन बनवाये तैयार भोजन को पहले गरीबो में बाटा और जो बचा उसे साथ मिल बाट कर खुद खाया।
राजा के गुप्त सैनिको ने सारा नजारा देख सारी बात राजा को बताया। राजा को यह जान संतोष हुआ की। उसके द्वारा दिया सोना बीरबल अच्छे कामो में प्रयोग कर रहा है।
अब राजा को यह देखना था की राजा अपने काम में कितना खरा उतरता है। रात होते ही जब बीरबल राजा के कमरे के बाहर पहरा देने लगा तो राजा उसको रात भार जाग के देखता है की बीरबल अपना काम कैसा करता है। रात भर राजा ने जग के देखा की बीरबल बिना पालक जपकाये सारी रात पहरा दे रहा था। बीरबल की इसी तरह काम देख कर राजा बहुत खुश हुआ।
बीरबल प्रति दिन इसी तरह सूरज डालते ही महल पहुंच जाता और राजा की सुरक्षा के लिए तैनात रहता।
जब भी राजा को किसी चीज की जरुरत रहती बीरबल वहा उपस्थित रहता। ऐसे ही देखते – देखते कई महीने गुजर गए।
एक रात कुछ अजीब घटना घटी राजा ने आधी रात किसी औरत के रोने बिलकाने की आवाज सुनी और औरत की आवाज सुन राजा बहुत हैरान हुआ। राजा ने बीरबल को बुलाया और कहा जाओ, पता लगा के आओ इतनी रात में कौन रो रहा है।” साथ ही उसके रोने” की वजह भी मालूम करना। राजा की बात सुन बीरबल वहा से फ़ौरन निकल पड़ता है उस औरत के रोने का कारण पता करने के लिए।
थोड़ी दूर जाने के बाद बीरबल को एक औरत दिखी जो सिर से पैरो तक गहनों से लद्दी थी। वो औरत खेलती , रोती , खुश होती , तथा बच्चो की तरह कूदती ये सब देख बीरबल उस औरत के पास पंहुचा और उसके रोने का कारण पूछा ?
बीरबल के पूछने पर- औरत ने बोला ” में राजलक्ष्मी हूँ। में रोती इसलिए हूँ की राजा रूपसेन की जल्द ही मौत होने वाली है “। उनकी कुण्डी में अकाल मित्यु लिखी है। और उनके जैसा कुशल राजा चला जायेगा। इसलिए दुःख हूँ।
और खुश इसलिए की मुझे किसी और के अधिकार में रहना पड़ेगा। बीरबल ने पूछा ” क्या इसको रोकने का कोई उपाय नहीं है। इस पर राजलक्ष्मी बोली उपाय तो है। लेकिन क्या तू कर पायेगा। आप मुझे उपाए बताये में जरूर करूँगा।
बीरबल के हां सुनते ही , राजलक्ष्नी बोली यहाँ से पूर्व की दिशा में एक देवी का मंदिर है। उस मंदिर में तू अपने बेटे की बलि देता है। तो राजा पर आने वाली मित्यु रुक जायेगी। उसके बाद राजा सौ साल तक जीवित रहेगा। और राज कर सकेगा।
बीरबल घर पहुंच कर सब हाल अपनी पत्नी को बताता है। उतने में उसकी बेटी और बेटे भी वहा आ जाते है। और बीरबल का बेटा अपने पिता की बात सुन खुशी – 2 बलि देने को तैयार हो जाता है। और कहता है पहला आपकी इच्छा ,दूसरा राजा की जान बचाना ,तीसरा देवी के आगे मेरी बलि इससे बड़ा सौभाग्य मेरे क्या होगा पिता जी |
आप अभी चलिए पिता जी। मंदिर पहुंच बीरबल ने तलवार निकली ,और कहा माँ ये बलि स्वीकार करो और मेरे राजा को लम्बी आयु दो। इतना कहकर बीरबल अपने बेटे का सिर काट देता।
“भाई की ऐसी हालत देख बीरबल की बेटी भी माँ “के चरणों में सिर पटक कर अपनी जान दे देती है। बेटे और बेटी के मर जाने के बाद बीरबल की पत्नी कहती है कि अब में भी जीना नहीं चाहती।
इतना बोल कर” बीरबल की पत्नी बीरबल” के हाथ से तलवार ले कर अपना सिर काट देती है। पत्नी को मित्यु के बाद बीरबल सोचता है की “परिवार में वो ही अकेला, जी कर क्या करेगा। और अपने आप को उसी तलवार से मार लेता है।
जब इस बारे में राजा रूपसेन सुना तो वो भी मंदिर आ पूछे। और ये सब नजारा देख राजा ने सोचा की मेरी जान बचने के चककर में चार लोगो ने अपनी जान ले ली। इस पर मुझे राजा होने पर दिक्कार कर है।
ऐसे जीवन का क्या करूँगा में इतना कहते ही। राजा अपनी तलवार निकालता है और अपने गले पर लगाने ही जा रहा था। तभी वहा देवी प्रकट होती है। और कहती है राजन में तेरे साहस से खुश हुई बता तुझे क्या वर चाहिए विक्रम बेताल की कहानी – 3 (Hindi Motivation story )
देवी की यह बात सुन राजा कहता है। देवी आप बीरबल और उसके परिवार को दुबारा जीवित कर दो। इतना “सुनते ही देवी माँ ने बीरबल ओर उसके परिवार को दुबारा जीवित कर दिया।
कहानी समाप्त
अब बेताल कहता है। की बताओ विक्रम इसमें सबसे बड़ा बलिदान किसका है। विक्रम बोलता है। इसमें सबसे बड़ा बलिदान राजा का हुआ। बेताल पूछता है
कैसे ? विक्रम बोला पिता की बात मानना बेटे का कर्तव्य होता है।
और राजा की बात मानना एक सेवक का धर्म होता है और अगर राजा अपने सेवक के लिए बलिदान दे।
तो यह सबसे बड़ा बलिदान होता है। इतना सुनते ही बेताल बोला बहुत खूब राजा विक्रम लेकिन तुम भूल गए मेने कहा था। अगर तुम बोले तो में फिर से चला जाऊंगा बेताल फिर से पेड़ पर लटक गया। “राजन बेताल को फिर से लेकर चल दिया
बेताल’ राजन चलो एक कहानी और सुनाता हूँ। विक्रम बेताल की कहानी – 3 (Hindi Motivation story )