विक्रम बेताल की कहानी -5 (Hindi Motivation Story )

विक्रम बेताल की कहानी -4 (Hindi Motivation Story ) – : सदियों पुरानी बात है। उज्जैन नगर में एक महाबल नाम का राजा राज किया करता था। राजा बहुत पराकर्मी और दयालु था। उसकी एक बेटी थी जिसका नाम महादेवी था। “महादेवी बहुत सुन्दर और सुशील थी। ” वह जब विवाह योग हुई तो राजा महाबल ने अपनी बेटी के लिए एक सुन्दर वर की तलाश कर दी।

एक – एक कर कई राजकुमार -राजकुमारी से शादी करने का प्रस्ताव लेकर आते रहे। लेकिन, राजा को कोई पसंद नहीं आया। राजकुमारी से विवाह करने के राजा ने एक ही सर्त रही थी। की राजकुमार हर चीज में निपूर्ण हो। ऐसा ही करते – करते काफी समय निकल गया लेकिन , राजा को अपनी बेटी के लिए कोई योग्य वर नहीं मिला।

एक दिन की बात है। जब राजा अपने दरबार में बैठे थे। “तभी वह एक राजकुमार आया।” उसमे कहा में राजकुमारी महादेवी से विवाह करना चाहता हूँ। राजा में कहा , “हे राजकुमार में अपनी बेटी का विवाह उस राजकुमार से करवाना चाहुगा जिसमे सभी गुण हो। ” इस पर राजकुमार ने उत्तर दिया। ” मेरे पास ऐसा रथ है। ” जिसमे हम बैठ कर छड़ भर में कही भी पहुंच सकते है। ये सुन राजा ने कहा ठीक है। तुम कुछ दिन रुको। में राजकुमारी से पूछकर ? जबाब दूंगा

कुछ दिन बाद वहा एक राजकुमार फिर से आ पंहुचा। “वह राजकुमार कहता है। राजा में त्रिकाल दर्शी हूँ।।” में भूत , भविष्या , और वर्तमान देखता हूँ। राजा , ने उसे भी कुछ दिन रुकने को कह।

कुछ दिन बाद राजा के पास एक और राजकुमार आ जाता है। राजा ने राजकुमार से कहा तुम में ऐसा , क्या गुण है ” जो अपनी पुत्री का विवाह तुमसे करवा दू। राजकुमार ने कहा राजन में धनुष विद्या में निपूर्ण हूँ। मेरे जैसा धनुर धारी दूर -दूर तक कोई नहीं है। राजा ने उससे कहा बहुत खूब आप कुछ दिन प्रतीक्षा करे ,में अपनी पुत्री से पूछ कर बताता हूँ।

अब राजा असमंजस में पड़ गया की तीनो राजा ही गुणवान है। लेकिन वह तीनो से तो राजकुमारी की शादी नहीं करवा सकता है। तो अब सवाल , यह था की राजकुमारी का विवाह किस्से होना चाहिए। वही दूसरी और एक भयानक राक्षस राजकुमारी के ऊपर नजर गड़ा के बैठा है विक्रम बेताल की कहानी -4 (Hindi Motivation Story )

मौका मिलते ही वह राक्षश राजकुमारी को उठा ले जाता है। यह खबर मिलते है। राजा -रानी और तीनो राजकुमार एक जगह इक्कठे हो गए। त्रिकाल दर्शी राजकुमार ने बताया की राक्षश राजकुमारी को वृन्ध्याचल पर्वत पर ले कर गया है, पहले राजकुमार ने कहा में अपना रथ लेकर अत हूँ, हम उस पर बैठ कर वृन्ध्याचल चल सकते है। तीसरे राजकुमार ने अपना तीर कमान निकला और कहा में उस राक्षश को मार गिराऊंगा

उसके बाद तीनो राजकुमार रथ पर बैठ कर व्रिन्धयाचल पर्वत के लिए निकल चुके। और उन्हें जैसे वह राक्षश दिखता है। धनु धारी राजकुमार कुशलता से उसका वध कर देता है। और तीनो राजकुमार राजकुमारी को बचा कर घर ले आये।

कहानी समाप्त

इस कहानी को सुनाने के बाद बेताल ने राजा विक्रम से कहा ” राजन राजकुमारी को बचाने में तीनो राजकुमार का हाथ था। तो अब तुम मुझे बताओ राकुमारी का विवाह किसके साथ होना चाहिए।
राजन – मेने सुना है की तू सबके साथ न्याय करता है। जल्दी उत्तर दे , नहीं तो में तेरा सिर के टुकड़े – टुकड़े कर दूंगा। राजा ने उत्तर दिया राजकुमारी का विवाह धनु -धारी राजकुमार से होना चाहिए , क्युकी राजकुमार ने राक्षश से राजकुमारी को बचाया। बाकि, दोनों राजकुमार ने केवल सहायता की है। बस फिर क्या था राजा के बोलते ही बेताल फिर से पेड़ पर जा लटका

सीख – मुश्किल के समय केवल साहस ही काम आता। मुसिबत को देखकर घबराये नहीं हमेशा साहस दिखाए

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